इसकी छटा ही निराली है बिगाड़े न बिगड़ती कैसा आसुत सम्भाले न सम्भलती। देखो कैसे खड़ा है तन के यही नहीं गिरता भी है धम से और, उड़ जाता है धूल चेहरे का हट जाती मदिरा मैं का बादशाह बन जाता है मानव फकीरी पा के। लत क्या पड़ी लोग संदेह करने लगे कदाचित काला साया है क्या कभी खुशी भी काली हो सकती है काला तो कारण होता है जिस पर लद कर लोग संदेह...। माफ कीजिएगा नशा चुभ रहा है। #विप्रणु #yqdidi #yqbaba #yrquoteandmine #musings