हम उस मुकाँ को पाने निकले हैं धूल-ए-निशाँ को छुपाने निकले हैं गर्दिश-ए-बादल क्या कर लेंगे गहराकर हम आशमां-ए-धूप खिलाने निकले हैं लाज़िम हैं राहें, आशां नहीं अपनी थकेंगे मगर हम रुकेंगे नहीं पर हसेँगे जो हारे हुए हैं भी हमपर हम रेगिस्ताँ में दरिया बहाने निकले हैं #feather #fightcovid19 #strongindia #poem #HindiQuote #hindishayri #urdushayri #Love #Nojoto