रात भर चलते सिलसिले अधुरी हसरतों के और गुजरते है एक के बाद एक काफ़िले कुछ उजली कुछ धुंधली सी यादों के मनाती रात मातम रात भर कुछ ध्वस्त हौसलों के और रखती हाथ दिलासे का कांधे पर कुछ शोक में डूबे पलों के रात भर मिलती हैं सांसे कुछ नए ख्वाबों खयालों को रात भर पढ़ती हैं नज़रें दिन की क्रूर चालों को सहकर वियोग दिन सारा रह के आकुल मन रात भर खुद से मिला जूझता रहता है जीवन सारे दिन दुनियादारी के जालों से रात भर मिलती निजात उलझे जंजालों से रात भर होता है बिस्तर तरबतार वैचैनियों की नमी से और सुनता है तकिया दिल की हर बात तल्लीन हो के रात भर सुस्ताती उम्मीदें छिप कर हकीकत के कड़वे उजालों से रात भर चलती है बातें खुद की खुद से और कभी चल पड़ते भवर से ज़िद्दी खयालों के रात भर पाती सुकून ज़िंदगी दिन की हलचल से रात दिन के ये सिलसिले.चलते रहे........ (राखी की क़लम से) ©Rakhee ki kalam se #रातदिन #nojotocontest #नोजोटोहिंदी #NojotoTrending #Twowords रात भर चलते सिलसिले अधुरी हसरतों के