अजीब मसला है, तूझे पाना भी नहीं चाहता, और तुझे खोने से भी डर लगता है, मैं कहता भी हूं चाहत नहीं है, पर प्यार तक बात ला भी नहीं सकता, चुभता भी एक कांटा पांव में, पर मुश्किल ये है निकाल भी नहीं सकता, और उसके साथ चल भी नहीं सकता, कि कितना उलझाया है मैंने ख़ुद को, अब इससे निकल भी नहीं सकता, और पूरी तरह डूब भी नहीं सकता। अजीब मसला है, तूझे पाना भी नहीं चाहता, और तुझे खोने से भी डर लगता है, मैं कहता भी हूं चाहत नहीं है, पर प्यार तक बात ला भी नहीं सकता, चुभता भी एक कांटा पांव में,