संकल्प से सिद्धि होती है, ये तूने ही तो जाना और माना है, फिर आज क्यों इतना बेचैन और बेगाना है, जग तो गोल है गोल के चक्कर में सब झोल है, जो गया वो आयगा फिर कैसा पछताना है, सारी दुनिया में एक ही तो फ़साना है झूठ सच का खेल तो बहुत पुराना है, प्यार तो सबको है मगर कठिन तो समझाना है, किसी ग्राम के बासी के दिल की बात, आज जग तो बताना है माया के चक्कर में सबको मिट यही जाना है क्यों हुए पैदा या क्या फ़र्ज है जीवन का क्यों कोई नहीं जाना है.. सचिन मिश्रा संकल्प से सिद्धि होती है..