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जिस धरती पर जन्म लिया उसके ही भूलता जा रहा इंसान स

जिस धरती पर जन्म लिया उसके ही भूलता जा रहा इंसान सारे उपकार,
समझने लगा खुद को भगवान नहीं रह गया जैसे प्रकृति से कोई सरोकार।

पांच तत्वों से मिलकर बना है यह शरीर जल, वायु, अग्नि धरती और अंबर,
अपने मतलब के लिए जाने अनजाने ही सही करने लगा है इनका तिरस्कार।

दौलत कमाने की होड़ में कर रहा है मानव अंधाधुंध सारी चीजों का व्यापार,
काट रहा है पेड़-पौधों को भूल गया है हरियाली ही है प्रकृति का सच्चा श्रृंँगार।

समय-समय पर सचेत है करती, कभी सुनामी, कभी बाढ़ का मचाती हाहाकार,
समय रहते ही सभी सचेत हो जाओ वरना धरती पर रहना हो जाएगा दुश्वार।

धरती हमारी जननी, धरती ही हमारी प्राण दायिनी है इसको करो सभी स्वीकार,
धरती गर रूष्ट हो गई तो पल में करके सब कुछ नष्ट, तोड़ देगी सबका अहंकार। ♥️ Challenge-546 #collabwithकोराकाग़ज़ 

♥️ विश्व पृथ्वी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ 🌍🌍

♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) 

♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए।
जिस धरती पर जन्म लिया उसके ही भूलता जा रहा इंसान सारे उपकार,
समझने लगा खुद को भगवान नहीं रह गया जैसे प्रकृति से कोई सरोकार।

पांच तत्वों से मिलकर बना है यह शरीर जल, वायु, अग्नि धरती और अंबर,
अपने मतलब के लिए जाने अनजाने ही सही करने लगा है इनका तिरस्कार।

दौलत कमाने की होड़ में कर रहा है मानव अंधाधुंध सारी चीजों का व्यापार,
काट रहा है पेड़-पौधों को भूल गया है हरियाली ही है प्रकृति का सच्चा श्रृंँगार।

समय-समय पर सचेत है करती, कभी सुनामी, कभी बाढ़ का मचाती हाहाकार,
समय रहते ही सभी सचेत हो जाओ वरना धरती पर रहना हो जाएगा दुश्वार।

धरती हमारी जननी, धरती ही हमारी प्राण दायिनी है इसको करो सभी स्वीकार,
धरती गर रूष्ट हो गई तो पल में करके सब कुछ नष्ट, तोड़ देगी सबका अहंकार। ♥️ Challenge-546 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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