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एक ज़ख़्म और, इक दर्द और, और इक बात और, क्या-क्या

एक ज़ख़्म और, इक दर्द और, और इक बात और,
क्या-क्या तो छुपा रक्खा है दिल में, तो इक राज़ और। 
चाँद, तारे, जुगनू, सनम, कोई भी तो नहीं आया,
इतना अब तक तो मुंतज़िर रहे , तो इक रात और।।

©Aaina
  #शायरी #इंतज़ार #याद #ग़ज़ल
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Aaina

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शायरी इंतज़ार याद ग़ज़ल

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