मन करता है तेरे नाम को अपने लकीरों पर सजाऊँ! मन करता है यादों में ही सही तेरी बाहों में झूल जाऊँ! यूँ तो कई नशा है ज़माने में बहकने और बहकाने को, मन करता है तेरे लबों को चूम कर मैं पूरी बहक जाऊँ! याद ना रहे कुछ भी तेरे बाहों में आकर मैं सब भूल जाऊँ! मैं रहूँ और तेरा प्यार हो बस मैं उन्हीं में मगरूर हो जाऊँ! खुशबु सा महके बदन मेरा जब तेरा खयाल छु जाएं मुझे, रगों में घुली रहूँ लहू बनकर,तेरे अंग-अंग से लिपट जाऊँ! मन करता है तेरे हर जज्बातों का मैं किताब बन जाऊँ! जो भी तू महसूस करे तेरे कहने से पहले मैं पढ़ जाऊँ! तुझे सताए दर्द कोई, उन ज़ख्मों की मैं मरहम बन जाऊँ! मन करता है इतना चाहूँ तुम्हें,तेरे चाहत का हर कर्ज़ चुकाऊँ! ♥️ Challenge-822 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।