मत झोंको नफरत की आग में, मेरे प्यारे भारत को। मत टुकड़ों में बांटों, जातिवाद के नाम से, मेरे प्यारे भारत को।। भारत मां भी सोचती होंगी, जन्म दिया कैसे कपूतों को कुदरत ढा रही है कहर अपना, प्रकृति से छेड़छाड़ को मत लूटो ,खसूटो, अब तो कुछ आबाद होने दो मेरे प्यारे भारत को बंद कमरों में बैठकर फैसले लेने वालों,आओ बाहर निकल कर देखो अंगारे बरसाती धूप में, तपती हुई रेत पर,दो कदम चलकर तो देखो खुद को गरीब का जाया कहते हो,अब तो बख्श दो मेरे प्यारे भारत को कैसी दुर्दशा हो गई है, सोचने को मजबूर हैं हम कहीं राम,रहीम, कहीं बाबा साहेब,कितने हिस्सों में बट गए हम अब कौन राज करेगा, यही गणित लगाते रहना तुम, फिर कोई लूट ले जायेगा, मेरे प्यारे भारत को मेरे प्यारे भारत को मत झोंको नफरत की आग में, मेरे प्यारे भारत को......