बन्द पिंजरे में रहने बाली, तितली थीं वो उड़ने वाल

बन्द पिंजरे में रहने बाली, 
तितली थीं वो उड़ने वाली! 
तिरस्कार सहा उसने पूरी उम्र, 
अपमान सहा उसने बचपन से लड़कपन तक, 
वो नन्ही सी परी जब हुई बड़ी, 
नहीं पता था उसे हैं वो लंका में खड़ी, 
उड़ने का ख्याल छिन लिया उससे, 
पिंजरे में फिर करदिया बंद उसे, 
आज भी कैद हैं वो पिंजरे में, 
आस हैं बाहर निकलने की उसे! #तितली
पिंजरे में बंद हैं एक तितली.....
बन्द पिंजरे में रहने बाली, 
तितली थीं वो उड़ने वाली! 
तिरस्कार सहा उसने पूरी उम्र, 
अपमान सहा उसने बचपन से लड़कपन तक, 
वो नन्ही सी परी जब हुई बड़ी, 
नहीं पता था उसे हैं वो लंका में खड़ी, 
उड़ने का ख्याल छिन लिया उससे, 
पिंजरे में फिर करदिया बंद उसे, 
आज भी कैद हैं वो पिंजरे में, 
आस हैं बाहर निकलने की उसे! #तितली
पिंजरे में बंद हैं एक तितली.....