दिवस हर तरफ होड़ लगी है आजकल दिवस मनाने की। एक दिन में सबकुछ पाने की आदत है जमाने की।। हर वर्ष असंख्य दिवसों का होता रहता है यहाँ आयोजन, दिवस की महत्ता जाने कोई ना, दिखे केवल वहाँ भोजन। मानवीय मूल्यों की बात करे, पर लत ना छुटे सताने की । हर तरफ होड़ लगी है................. इंसानियत का मोल नहीं है, ऊँचे मंच के सामयानों में, गरीब की सुरत दिखे नहीं किसी अमीर को आयनों में। मंच-मंच पर होड़ लगी है, एक दुसरे को नीचा दिखाने की। हर तरफ होड़ लगी है.................. मूल भाव जहाँ बसे है मन में, दिवस का रंग वहाँ फिर चढ़े है तन पर। प्रतिष्ठा सब समझे है धन में, व्यापार करे यहाँ, ताला लगे है अन्न पर। भूख-प्यास को बेच यहाँ पर, होड़ लगी है कीमत बढ़ाने की। हर तरफ होड़ लगी है.................... अपव्यय से बचना हो, तो सादगी से भरा हो हर दिन, सब की सहभागिता हो, किसी ना हो गम सुख बिन। किसी को भी ना पड़े जरूरत, सच की आवाज दबाने की। हर तरफ होड़ लगी है…................ #rsmalwar 🇮🇳🇮🇳🙏🙏🇮🇳🇮🇳 दिवस हर तरफ होड़ लगी है आजकल दिवस मनाने की। एक दिन में सबकुछ पाने की आदत है जमाने की।। हर वर्ष असंख्य दिवसों का होता रहता है यहाँ आयोजन,