इंसानियत पे रोती थी इंसानियत। मनुवाद की सर चडी थी हैवानियत। शुक्र करो उस भीम का यारो, जिसने उनके बीच जिंदा रखी तुम्हारी अहमियत।... कविराज। भीम शायरी....