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फ़िर उन्ही वादियों में आओ कोई शाम गुज़ारें तुम हम को

फ़िर उन्ही वादियों में आओ कोई शाम गुज़ारें
तुम हम को मनाओ हम तुम को मना लें

जो बीत गया वो पल न आएगा वापस कभी
गुज़िश्ता पलों से आओ कुछ पल चुरा लें

ज़िन्दगी ने दिए हैं बेहिसाब दर्द मुझको यहाँ
ए हमनवां मुझको अपनी आग़ोश में छुपा ले

महलों में भी नहीं मिला सुकून ज़िन्दगी का
मिलकर हम मिट्टी का आओ एक घर बना लें

फ़रोज़ाँ हो जाता हूँ जब तुम होती हो पास मेरे
मुक़द्दस शम'आ मुहब्बत की आओ फ़िर जला लें 

पुर-ख़ुलूस  है  इश्क़  तेरा, इतबार है मुझे
'सफऱ' की चाहत है तू, उसे तू अपना बना ले 🔹आओ कोई शाम गुजारें🔹


गुज़िश्ता- past
फ़रोज़ाँ- luminous
मुक़द्दस- पवित्र
पुर-ख़ुलूस- sincere
फ़िर उन्ही वादियों में आओ कोई शाम गुज़ारें
तुम हम को मनाओ हम तुम को मना लें

जो बीत गया वो पल न आएगा वापस कभी
गुज़िश्ता पलों से आओ कुछ पल चुरा लें

ज़िन्दगी ने दिए हैं बेहिसाब दर्द मुझको यहाँ
ए हमनवां मुझको अपनी आग़ोश में छुपा ले

महलों में भी नहीं मिला सुकून ज़िन्दगी का
मिलकर हम मिट्टी का आओ एक घर बना लें

फ़रोज़ाँ हो जाता हूँ जब तुम होती हो पास मेरे
मुक़द्दस शम'आ मुहब्बत की आओ फ़िर जला लें 

पुर-ख़ुलूस  है  इश्क़  तेरा, इतबार है मुझे
'सफऱ' की चाहत है तू, उसे तू अपना बना ले 🔹आओ कोई शाम गुजारें🔹


गुज़िश्ता- past
फ़रोज़ाँ- luminous
मुक़द्दस- पवित्र
पुर-ख़ुलूस- sincere