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मैं तुम्हे बाँधना नही चाहता था मैं तुम्हे रोकना चा

मैं तुम्हे बाँधना नही चाहता था
मैं तुम्हे रोकना चाहता था मैं तुम्हे बाँधना नही चाहता था
मैं तुम्हे रोकना चाहता था

तुम कल कल करती एक नदी की मानिंद बह जाना चाहती थी अन्जान दिशा में जहाँ समंदर घात लगाए बैठा था तुम्हे ख़ुद में समाहित कर तुम्हारा अस्तित्व मिटाने को, मैं पर्वत बन तुम्हे सदा के लिए अपनी गोद देना चाहता था..

मैं तुम्हे बाँधना नही चाहता था
मैं तुम्हे रोकना चाहता था
मैं तुम्हे बाँधना नही चाहता था
मैं तुम्हे रोकना चाहता था मैं तुम्हे बाँधना नही चाहता था
मैं तुम्हे रोकना चाहता था

तुम कल कल करती एक नदी की मानिंद बह जाना चाहती थी अन्जान दिशा में जहाँ समंदर घात लगाए बैठा था तुम्हे ख़ुद में समाहित कर तुम्हारा अस्तित्व मिटाने को, मैं पर्वत बन तुम्हे सदा के लिए अपनी गोद देना चाहता था..

मैं तुम्हे बाँधना नही चाहता था
मैं तुम्हे रोकना चाहता था
amitmishra2258

Amit Mishra

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