जिंदगी से गुजारिश है ले चल वहाँ जहाँ चंद लम्हे सुकूंन के गुजार सकूं फर्क नहीं पड़ता वो मंदिर है या मस्जिद वहाँ छोड़ दे मुझे जहाँ खुद से मिल सकूं। ©Rajeev Bhardwaj लेखक #Raजीव#Bhardwaj जिंदगी से मिल सकूं