अरे कल्पनाओं में जीना पड़ता है हकीकत से परे, एक काल्पनिक किरदार चुनना पड़ता है नायक के रूप में, जिसकी नायिका मैं स्वयं होती हूँ, प्यार का एक नाटक करना पड़ता है,, जो हकीकत के बिल्कुल करीब होता है,, डूबना पड़ता है प्रेम के समंदर में अपने किरदार में खो जाना पड़ता है,, ठीक उसी समय उत्तपत्ति होती है इश्क की,, तब कहीं जाकर मुहब्बत से शराबोर अल्फाजों का जन्म होता है,, वो खाश लम्हा महसूस करने योग्य होता है जब मैं शिद्दत से प्यार लिखती हूँ।। कभी इस नाटक में रूठना भी पड़ता, उस काल्पनिक नायक से दूर होना पड़ता,, तन्हाई भी जीनी पड़ती है , तब आंसुओ की धार लेकर ,, जो शब्द बह निकलते है ठीक उसी समय विरह जन्म लेता है और मैं दर्द लिख देती हूँ।। ©नीलम #love and #hurt