White आज कल लोग बहुत, गिराने में लगे हैं जिंदा को गिरा, मुर्दा को उठाने में लगे है मंजिल किधर है और जा किधर रहे हैं बेमतलब के लोग यूँही आने जाने में लगे हैं कहते हैं उठा है इधर 'धुआँ' उठा है उधर नज़रें उठा कर देखा तो आग ज़माने में लगे है जिंदगी की इम्तिहाँ देते देते थक गया था फ़क़ीर और लोग मुर्दा समझकर उसको जलाने में लगे हैं 'नीरज' कितने पत्थर दिल हैं ज़माने के लोगों में! बेसहारा, बेघर फ़क़ीर को, लोग रुलाने में लगे हैं ©matlabi nojoto friends #rainy_season