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गर अपनी ज़िंदगी को दूसरों के शब्दों में आंका तो मु

गर अपनी ज़िंदगी को
दूसरों के शब्दों में आंका

तो मुर्दा ही बेहतर थे तुम
वो स्वांस तो न व्यर्थ होती

~Satyaprem Upadhyay #meltingdown
गर अपनी ज़िंदगी को
दूसरों के शब्दों में आंका

तो मुर्दा ही बेहतर थे तुम
वो स्वांस तो न व्यर्थ होती

~Satyaprem Upadhyay #meltingdown