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रोज़ प्रातः एक गौरेयों का झून्ड आंगन में मेरे आत

रोज़ प्रातः एक गौरेयों  का  झून्ड 
आंगन में मेरे आती है

नीन्द मे ही मैं होती हूँ जब वो
संगीत शरबरती मुझको सुनाती है

शरबत से भी मीठी उसकी चू चू बोली
मेरा रोम-रोम हरसाती है

रोज़ प्रातः एक गौरयों का झुण्ड
मुझको जगाने आंगन में मेरे आती है ।
-ऋता



🌼🌻

©gudiya #IFPWriting
रोज़ प्रातः एक गौरेयों  का  झून्ड 
आंगन में मेरे आती है

नीन्द मे ही मैं होती हूँ जब वो
संगीत शरबरती मुझको सुनाती है

शरबत से भी मीठी उसकी चू चू बोली
मेरा रोम-रोम हरसाती है

रोज़ प्रातः एक गौरयों का झुण्ड
मुझको जगाने आंगन में मेरे आती है ।
-ऋता



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kumaribharti7980

gudiya

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