जाम हाथो में है फिर लबों तक क्यों नही, क्या है मजबूरी बता तो सही। झूठी सिगरेट है ये तेरे लबों की, बेतलब फिर से कभी जला तो सही। ✍️✍️माही #अनकहा_दर्द