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।। चौपाई ।। रात्रि में रमण रूप शशि दीखे, प्रकृति क

।। चौपाई ।।
रात्रि में रमण रूप शशि दीखे,
प्रकृति के कार्य आर्ष कवि लीखे ।
रवि रस दिव्य बरे अमि धरमा,
धरणि के धूर करत परि करमा ।। रात एक बजे अचानक मेरी आँख खुल गयी, अजीब सी बेचैनी लग रही थी, और नींद तो गायब ही थी..
अभी कुछ देर पहले प्रकाश का प्रस्फ़ूटन सा हुआ, रश्मिकृत कोई आभा हृदय में चमकी और एक चौपाई की रचना हो गयी..

हमनें कभी न सोचा था कि कभी चौपाई भी लिख पायेंगे..
आँखों से अश्रु बह रहे हैं.. 
और हृदय में प्रेम का छलकाव सा हो रहा है..

पता नहीं कैसे वर्णन करें..
।। चौपाई ।।
रात्रि में रमण रूप शशि दीखे,
प्रकृति के कार्य आर्ष कवि लीखे ।
रवि रस दिव्य बरे अमि धरमा,
धरणि के धूर करत परि करमा ।। रात एक बजे अचानक मेरी आँख खुल गयी, अजीब सी बेचैनी लग रही थी, और नींद तो गायब ही थी..
अभी कुछ देर पहले प्रकाश का प्रस्फ़ूटन सा हुआ, रश्मिकृत कोई आभा हृदय में चमकी और एक चौपाई की रचना हो गयी..

हमनें कभी न सोचा था कि कभी चौपाई भी लिख पायेंगे..
आँखों से अश्रु बह रहे हैं.. 
और हृदय में प्रेम का छलकाव सा हो रहा है..

पता नहीं कैसे वर्णन करें..