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आंखों में रह गए हैं टुकड़े टूटे ख्वाब के हाथों मे

आंखों में रह गए हैं टुकड़े टूटे ख्वाब के 
हाथों में हाथ छूटने का ज़खम रह गया ।।

मैं एक रोज़ इस तरह से नींद से उठा 
के मेरा सारा सच महज़ भरम रह गया ।।

© हृषिकेश शुक्ला 'ऋषि'

©Hrishikesh Shukla
  #Kundan&Zoya