चहुँ और है तिमिर घनेरा, इस तम को कैसे हरे, मंद सा कोमल प्रकाश मेरा, ये विचार मुझे खलता है, बुझने का मन करता है । अहा ! देखो तिमिर कितना घनेरा, श्लेष मात्र नही मुझको घेरा, जहाँ में जाऊं वहाँ पर मैंने, तम को हर कर दिया उजेरा, ये विचार मुझे प्यारा है, हरपल रोशन होने का, मन अब मेरा होता है ।। -विनय #Inspiration #motivation #Fight #Positivity #Life #Struggle