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एक उम्र बाद भी मेरा बचपना सह पाओगे मैं रूठती बहुत

एक उम्र बाद भी मेरा बचपना सह पाओगे
मैं रूठती बहुत हूं , मना पाओगे

मैंने एक उम्र बितानी है संग तेरे
मेरे छोटे–छोटे नखरे उठा पाओगे

तल्खियों से डर लगता है
अपनी लिखी नज़्म सुना पाओगे

उम्र भर के लिए पकड़ा है मैंने हाथ तेरा
क्या उम्र भर यूं ही संग संग चल पाओगे

©Manish Sarita(माँ )Kumar
  नाराजगी

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