ज़िन्दगी अधूरी ख्वाहिश ,अधूरे सपने गुमराह जिंदगी ,खोए लम्हे मत हार तू जिंदगी अपनी क्यों कहते हो अब मन नहीं........... रुक जाता हूं सफर में कहीं खो जाता हूं अंधेरों में कहीं जब लगे कोशिशे अधूरी हर कोशिश में खुशी भूल जाता हूं फिर उन अधूरी कोशिश में क्यों कहते हो अब मन नहीं......... जो तुम्हे सब से प्यारी थी हर एक से अलग तुमने मानी थी पर क्यों कहते हो.....*अब मन नहीं* अधूरी ख्वाहिश ,अधूरे सपने गुमराह जिंदगी ,खोए लम्हे मत हार तू जिंदगी अपनी क्यों कहते हो अब मन नहीं........... रुक जाता हूं सफर में कहीं खो जाता हूं अंधेरों में कहीं जब लगे कोशिशे अधूरी