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ग़ज़ल ए इश्क तेरे नाज़ उठाके तड़पते हुए ,बस तुझे

ए इश्क तेरे नाज़ उठाके तड़पते हुए,बस तुझे देख हरहाल में मुस्कुराते रहे/१/

सारे परवाने शमा से ही लड़कर उड़ते हुए,बस उस जिंदादिल को जलाते रहे/२

कितने तूफ़ान हम चराग़ों से,देखते हुए,बस हयात को इश्क में आज़माते रहे/३/

चश्म से अश्क किसके लिए बहते हुए,बस बारहा जो पूछा*अख्तर को,तो सकुचाते रहे//४
*तारा

ए इश्क तेरे नाज़ उठाके तड़पते हुए,बस तुझे देख हरहाल में मुस्कुराते रहे/१/ सारे परवाने शमा से ही लड़कर उड़ते हुए,बस उस जिंदादिल को जलाते रहे/२ कितने तूफ़ान हम चराग़ों से,देखते हुए,बस हयात को इश्क में आज़माते रहे/३/ चश्म से अश्क किसके लिए बहते हुए,बस बारहा जो पूछा*अख्तर को,तो सकुचाते रहे//४ *तारा #nojotoenglish #hindiwritings #shamawritesBebaak

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