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कितनी बदल गई परिभाषा ना जानें ये जाये कहां तक सोना

कितनी बदल गई परिभाषा
ना जानें ये जाये कहां तक
सोना बन गया कांसा
कितनी बदल.....
धुमिल हुई सच की आवाजें
व्यथित लगी हर आशा 
कितनी बदल.....
मतलब का सब ताना बाना
सच का बनत तमाशा
कितनी बदल.....
कलयुग बाबा लहरा गावत 
फस गए "सूर्य" निराशा
कितनी बदल.....

©R K Mishra " सूर्य "
  #परिभाषा  Rama Goswami Yogendra Nath Yogi Rimjhim shashi kala mahto वंदना ....