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न हों अल्फ़ाज़ वो भी राज़ आंखें खोल जाती हैं, जो

 न हों अल्फ़ाज़ वो भी राज़ आंखें खोल जाती हैं,
जो नामुमकिन हो जता पाना वो आंखें बोल जाती हैं।
कोई हो राज़ या हो नाज़, कोई हो सच या फिर विश्वास,
किसी की हर तरफ करवट बदलती, हो रात की सच्चाइयां।
किसी की याद में हो नम, या फिर हो झांकती तन्हाइयां,
कभी रूठे हुए सपनों के धागे छेड़ जाती हैं,
जो नामुमकिन हो जता पाना वो आंखें बोल जाती हैं।
 Art by- roshan marakal
#yqdidi
 न हों अल्फ़ाज़ वो भी राज़ आंखें खोल जाती हैं,
जो नामुमकिन हो जता पाना वो आंखें बोल जाती हैं।
कोई हो राज़ या हो नाज़, कोई हो सच या फिर विश्वास,
किसी की हर तरफ करवट बदलती, हो रात की सच्चाइयां।
किसी की याद में हो नम, या फिर हो झांकती तन्हाइयां,
कभी रूठे हुए सपनों के धागे छेड़ जाती हैं,
जो नामुमकिन हो जता पाना वो आंखें बोल जाती हैं।
 Art by- roshan marakal
#yqdidi
aniketrai6706

Aniket Rai

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