कुछ दिन पहले मेरी मित्र ने मेरे साथ एक मुशायरे का विडियाे शेयर किया था,जिसमें एक बुर्जूग शायर अपने जाेशीली आवाज में एक गजल प्रस्तुत कर रहे थे।गजल के बाेल थे काैन करेगा तुझसे प्यार!!अरे रे ना बाबा ना....
सभी दर्शक(ज्यादातर पुरूष)जाेरदार तालियां और सिटी बजा रहे थे।गजल के भाव के अनुसार शायर साहेब महिलाओं से ये कह रहे थे कि आप जब तक घर में रहती है,आपकाे प्यार किया जा सकता है..
परन्तु जब आप घर की दहलीज लांघ कर,परदे से बाहर निकल कर ,अपनी खुद की पहचान बनाना चाहती है,ताे आप अपवित्र हाे जाती है ।फिर आप काे काेई कैसे प्यार कर सकता है!!!!
पूरी गजल सुन ने के बाद मुझे उन शायर साहेब से ज्यादा दुख वहां माैजूद दर्शकाें की तालियाें से हुआ ।।
आप किसी गलत साेच काे सही कैसे कह सकते है ????
या फिर तालियां इसलिये बज रही थी कि वहां माैजूद सभी पुरूष यहीं चाहते थे कि औरत सिर्फ उनके पांव की जूती रहे।
हालाकि उसी मुशायरे में एक शायरा ने बेहद ही बेहतरीन अंदाज में उन्हें करारा जबाब दिया।
पर दाेस्ताें उस शायरा के लिए तालियाें की आवाज बहुत धीमी थी, #पुरुष#yqbaba#yqdidi#yqdada#समानता#दहलीज़