मैं दिल्ली सा हो चला हूँ, खुद का ही शोर खुद में दफनाए रहता हूँ, और कुछ समाज मुझमे भी जिंदा हैं, जो मेरे दिल को हर रोज मारता रहता हैं, पर कुछ भी कहो मेरा सपना मुझे जिंदा रखता हैं, और उसमें फिर एक जमाना मुझमें जीता हैं। -Ravindra Singh Thakur #Delhi_Riots #delhi #hindi #poetry #life #story