अंदर उठ रहे शोर को खुद में दबा के रखती है, वैसे कुछ खास काम नहीं,ख़ुद को उलझा के रखती हैं । कहीं गुम हो गई है वो इस मतलब की दुनियां में, मासूम है वो शायद खुद को टूटने से बचा के रखती है । (मेरी डायरी) -अलभ्य अनूप . ©Alabhya Anup Bacha k rakhti hai #sagarkinare