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अंदर उठ रहे शोर को खुद में दबा के रखती है, वैसे कु

अंदर उठ रहे शोर को खुद में दबा के रखती है,
वैसे कुछ खास काम नहीं,ख़ुद को उलझा के रखती हैं ।
कहीं गुम हो गई है वो इस मतलब की दुनियां में,
मासूम है वो शायद खुद को टूटने से बचा के रखती है ।
(मेरी डायरी)
-अलभ्य अनूप






.

©Alabhya Anup Bacha k rakhti hai 

#sagarkinare
अंदर उठ रहे शोर को खुद में दबा के रखती है,
वैसे कुछ खास काम नहीं,ख़ुद को उलझा के रखती हैं ।
कहीं गुम हो गई है वो इस मतलब की दुनियां में,
मासूम है वो शायद खुद को टूटने से बचा के रखती है ।
(मेरी डायरी)
-अलभ्य अनूप






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©Alabhya Anup Bacha k rakhti hai 

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alabhyaanup8020

Alabhya Anup

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