हाथों की लकीरों ने तुमसे मिलने नहीं दिया। आंखों से अश़्क़ मग़र हमने गिरने नहीं दिया। मेरे मरने की रात दिन जो कर रहे थे दुआ, उन्होंने चैन से मुझे कभी जीने नहीं दिया। चूर - चूर कर के हसरतें मेरे दिल की, दिल में हसरतों का फूल खिलने नहीं दिया। भुला तो दिए उसके एहसास और जज़्बात, मगर ज़ख्मों का दर्द़ कभी उभरने नहीं दिया। हसरतों की आग दिल में लगा उसने बहुत मगर हसरतों की राख़ को उड़ने नहीं दिया बेवफ़ाई की हद़ से ज्यादा उसने मग़र, हमनें दिल में नफरतों को जमने नहीं दिया। तेरे दिल में हसरत ना हो बेश़क मेरे लिए , हमनें हसरतों का दीप बुझने नहीं दिया। गंगा सी पाक है" नेहा "मोहब्बत तेरी मगर, समेटकर बाहों में कभी बिख़रने नहीं दिया। ©Anjali #लकीरों #Moon