जाने कितनी बाते हैं, जाने कितने धोके हैं। तन्हा तन्हा रातों में, बेमौसम बरसाते हैं। बोझिल मेरे कदमों में, जाने कितने काँटे हैं। इश्क़ वफ़ा की बातें कर, करते झूठे वादें हैं। जी करता मर जाऊँ मैं, कदमों को बस रोके हैं। हर्फ़ अधूरा है जो पड़ा, मिसरे मेरे रोते हैं। 'इकराश़' अकेला ही चल, अपने सारे भूले हैं। बड़े दिनों बाद बड़ी मुश्किल से कुछ बना है। ~ इकराश़ #YqBaba #YqDidi #ग़ज़ल_ए_इकराश़ #इकराश़नामा