शीर्षक : मैत्री राम सा हृदय बने, और मित्र हो हनुमान सा मन सुदामा सा अधीर, और प्रेम हो घनश्याम सा हो सखी राधा सी प्यारी, एकता त्रिदेवी की मित्रता प्रगाढ़ जैसे, रबड़ी और जलेबी की पार्थ सी कृतज्ञता हो, सारथी गोपाल सा जैसे सरगम संग बजे, संगीत भी सुर ताल सा मैत्री में सामर्थ वो, जो सरहदों को तोड़ दे गर करे विच्छेद दुनिया, तो जहां ये छोड़ दे मित्रता गर हो हमारी,इन विचारों पर बनी सच कहूं बन जाएंगे,अंतःकरण से हम धनी तब नहीं संघर्ष होंगे, सर्वदा उत्थान होगा इस जहां में एक ही फिर, राम और रहमान होगा धर्म के आधार पर न, हिंदू-मुसलमान होगा स्वप्न है की काश कलतक, ऐसा हिंदुस्तान होगा ©Priya Kumari Niharika #maitri #poem #Nojoto #Love #me #myvoice Ehsaas"(ˈvamˌpī(ə)r)"Radio Internet Jockey Ankit verma 'utkarsh' Mr . DHANUSH (Shubham Mishra) Ek Lamba safer with Adarsh Kumar Sudha Tripathi कवि राहुल पाल sûmìt upãdhyåy(flutist)