(86) सोंचा उसे तब वो लाखों में थी चाहा उसे तब हजारों में थी किया जब उससे इज़हार-ए-मोहब्बत पहुँच चुकी तब बाजारों में थी. Genius 2.0 ©Mohd Asif (Genius) #asifgenius