यहां कोई हमदर्द कोई हमदम नहीं, ज़ख्मों के सौदे हैं,कोई मरहम नहीं पानी की भी परख रखा करिये जनाब, हर नदी गंगा नहीं हर पानी ज़मज़म नहीं फ़ुर्सत न मिली इतनी कि हिसाब करते, वरना किये किसने सितम नहीं बदलता दौर था हर शख़्स बदल गया, हैरान हूं दिल तो हैं मगर रहम नहीं गैरों से शिकवे करने ही वाली थी "राना",मगर फिर गौर किया कि यूं तो अपने भी कम नहीं.. गैरों से शिकवे करने ही वाली थी"राना" , मगर फिर गौर किया कि यूं तो अपने भी कम नहीं...!!#गैर #अपने #शिकवे #परख #पानी #गंगा #ज़मज़म