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माता सीता के त्याग,तपस्या से सभी अच्छे से परिचित ह

माता सीता के त्याग,तपस्या से सभी अच्छे से परिचित हैं फिर धीरे धीरे संतों की मधुर वाणी से लक्ष्मण की पत्नी माता उर्मिला का चरित्र भी उजागर हुआ और उनकी त्याग,तपस्या को सभी ने सीता के समकक्ष ही मान दिया लेकिन कल जब हमने भरत की पत्नी मांडवी के लिए जो सुना हृदय का रोम रोम द्रवित हो गया  महाराजा जनक की कैसी परवरिश रही होगी जो ऐसे अनमोल रत्नों की चमक से सारी अयोध्या शोभायमान है।बहुत छोटा सा प्रसंग सुना जिससे सुनकर माता मांडवी का सारा चरित्र उजागर हो गया और हम उस चरित्र की खुशबू को बांटे बिना रह ही नहीं पाए।
माता कौशल्या जब वन में भगवान राम से मिलकर लौटी तो बेहद दर्द था उन्हें,अपने पुत्र पुत्रवधु का चेहरा आंखों के सामने बार बार आ रहा था इसलिए वो सो नहीं पाईं पूरी रात्रि तभी उनकी दृष्टि पड़ी की राजमहल की छत पर कोई टहल रहा है आश्चर्य में पड़ गई कि इतनी रात कौन हो सकता तुरंत जाकर देखा तो ये तो भरत की पत्नी मांडवी थी पूछा मां ने अभी तक सोई नहीं तुम और भरत कहां है।बताया मांडवी ने जब से वो वन से आएं हैं उन्होंने भगवान राम की तरह वल्कल धारण कर महल से बाहर कुटिया बनाकर रहने का प्रण किया है कि भैया वन में रहें और मैं महल के सुख भोगूं ये मेरे लिए कभी संभव नहीं है। मां ने कहा फिर तुम साथ क्यों नहीं गई मांडवी। मांडवी का जब उत्तर सुना तो हृदय थोड़ा पीड़ित हुआ लेकिन गौरवान्वित भी कि ऐसी धरा पर जन्म का सौभाग्य हमें मिला। बोली मांडवी उनकी इच्छा थी कि तीनों मां को तुम्हारी सेवा की आवश्यकता है भैया राम और लक्ष्मण के बिना सबके हृदय बहुत पीड़ित हैं और मां सीता भी साथ नहीं है इसलिए तुम महल में रहकर अपना धर्म निभाओ।मांडवी के चरित्र को पहली बार जाना और महसूस किया माता सीता उर्मिला से कम नहीं है मांडवी का त्याग। सचमुच रामायण प्राण है हमारी इस धरा का।जय जय श्री राधे कृष्णा

©Reema Mittal 
  रामायण का एक खुबसूरत चरित्र भरत की पत्नी मांडवी

रामायण का एक खुबसूरत चरित्र भरत की पत्नी मांडवी #जानकारी

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