कभी आना मेरे पास , एक खामोश मंजर दिखाऊंगा । बिना आशियाने के भटकते, कई शहरी परिंदे दिखाऊंगा । यहां सबको फ़िक्र यही , कल जिंदा रह पाऊंगा ? हंसते चेहरों पर गम , जिंदगी का मतलब दिखाऊंगा । रास्ता उनका मंजिल मेरी , भला कैसे उसे पाऊंगा ? बंद आंखों से चले , मैं भीड़ ना बन पाऊंगा । मेरी चाहत मेरे अरमां , रास्ता भी अपना बनाऊंगा । मुझे मंजूर नहीं गुरबत , अपना आशियाना अलग बसाऊंगा । -Dr Gora #manjar #bhatakte #parinde #fikr #gam #jindgi #rasta #manjil #bheed #shahar #aashiyana #life