लाख कहें ऐ मेरे सनम! तेरे बगैर जिंदगी में बहुत खुश है हम। पर जानता है मेरा दिल तेरे बिना मेरी जिंदगी तू मुकम्मल नहीं। सोचा ना था कि जिंदगी तेरे बिना भी गुजारनी पड़ेगी कभी हमें, जीने को तो जी रहें हैं हम पर तेरे बगैर जीने की ख्वाहिश नहीं। 🌝प्रतियोगिता-87🌝 ✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️ 🌹"ज़िंदगी तू मुकम्मल नहीं"🌹 🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य नहीं है I कृप्या केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I