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जीवन अनुभवों की भट्टी में पक जाता, चहरे पर लिए झु

जीवन अनुभवों  की भट्टी में पक जाता,
चहरे पर लिए झुर्रियां बुढ़ापा आ जाता,
हो जाते केश श्वेत,धुंधली हो जाती दृष्टि,
जीवन गिनता है सांसे,बदल जाती सृष्टि,
 कंपकंपाता है शरीर,मन रहता है अधीर,
पड़ने लगती है अपनों के सहारे जरूरत,
फिर बच्चा बनकर करता बीते पल याद,
 सोचता बुजुर्ग व्यक्ति क्या होगा मेरे बाद। #ओल्ड
जीवन अनुभवों  की भट्टी में पक जाता,
चहरे पर लिए झुर्रियां बुढ़ापा आ जाता,
हो जाते केश श्वेत,धुंधली हो जाती दृष्टि,
जीवन गिनता है सांसे,बदल जाती सृष्टि,
 कंपकंपाता है शरीर,मन रहता है अधीर,
पड़ने लगती है अपनों के सहारे जरूरत,
फिर बच्चा बनकर करता बीते पल याद,
 सोचता बुजुर्ग व्यक्ति क्या होगा मेरे बाद। #ओल्ड