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माँ।। ममता की देके छावं,काटो से बचाए पावं, हदय मे

माँ।।
ममता की देके छावं,काटो से बचाए पावं,
हदय मे प्रेम, अनुराग का सैलाब है।
देती संस्कार ,धरो संयम सबल बनो,
रहो स्वाभिमानता से, हर माँ का ख्वाब है।
चाहे देवी देव गण ,चाहे जीव-जन्तु पशु,
सृष्टि का कण-कण, माँ के आधीन है।
सहती अखंड पीर, नीर पी जाती है,
हर कर्म क्षेत्र मे ,जननी प्रवीण है।
शक्ती स्वरूप माँ, भक्ती का रूप माँ,
रूप अनुरूप ,कही छावं कही धूप माँ।
शब्दो का समूह नही ,जो माँ का गुणगान करे,
विषय वासना से परे, प्रेम प्रतिरूप माँ,
माँ सी विभूती नही, धरा पे दूजी कोई,
यू कहे  देह मे माँ ,आत्मा सी साजी है;
सब पे आशीष रहे ईश्वरीय अवतार,
 "माँ" परमात्मा स्वरूप घर मे विराजी है।। 
Sonali_alfaz   ...सोनाली सेन सागर (मध्य प्रदेश)

©SONALI SEN माँ।।
ममता की देके छावं,काटो से बचाए पावं,
हदय मे प्रेम, अनुराग का सैलाब है।
देती संस्कार ,धरो संयम सबल बनो,
रहो स्वाभिमानता से, हर माँ का ख्वाब है।
चाहे देवी देव गण ,चाहे जीव-जन्तु पशु,
सृष्टि का कण-कण, माँ के आधीन है।
सहती अखंड पीर, नीर पी जाती है,
माँ।।
ममता की देके छावं,काटो से बचाए पावं,
हदय मे प्रेम, अनुराग का सैलाब है।
देती संस्कार ,धरो संयम सबल बनो,
रहो स्वाभिमानता से, हर माँ का ख्वाब है।
चाहे देवी देव गण ,चाहे जीव-जन्तु पशु,
सृष्टि का कण-कण, माँ के आधीन है।
सहती अखंड पीर, नीर पी जाती है,
हर कर्म क्षेत्र मे ,जननी प्रवीण है।
शक्ती स्वरूप माँ, भक्ती का रूप माँ,
रूप अनुरूप ,कही छावं कही धूप माँ।
शब्दो का समूह नही ,जो माँ का गुणगान करे,
विषय वासना से परे, प्रेम प्रतिरूप माँ,
माँ सी विभूती नही, धरा पे दूजी कोई,
यू कहे  देह मे माँ ,आत्मा सी साजी है;
सब पे आशीष रहे ईश्वरीय अवतार,
 "माँ" परमात्मा स्वरूप घर मे विराजी है।। 
Sonali_alfaz   ...सोनाली सेन सागर (मध्य प्रदेश)

©SONALI SEN माँ।।
ममता की देके छावं,काटो से बचाए पावं,
हदय मे प्रेम, अनुराग का सैलाब है।
देती संस्कार ,धरो संयम सबल बनो,
रहो स्वाभिमानता से, हर माँ का ख्वाब है।
चाहे देवी देव गण ,चाहे जीव-जन्तु पशु,
सृष्टि का कण-कण, माँ के आधीन है।
सहती अखंड पीर, नीर पी जाती है,
sonalisen2898

SONALI SEN

New Creator

माँ।। ममता की देके छावं,काटो से बचाए पावं, हदय मे प्रेम, अनुराग का सैलाब है। देती संस्कार ,धरो संयम सबल बनो, रहो स्वाभिमानता से, हर माँ का ख्वाब है। चाहे देवी देव गण ,चाहे जीव-जन्तु पशु, सृष्टि का कण-कण, माँ के आधीन है। सहती अखंड पीर, नीर पी जाती है, #कविता #MothersDay2021