प्रेम की रूमानियत हो सकती है; घटा जैसी; हवा जैसी; फूलों जैसी; हक़ीकत ऐसी नहीं होती। ये होती है कठोर; ज़मीं जैसी सूरज जैसा। आसान है; प्रेम की इस राह पर चलना; मंज़िल कभी आसान नहीं होती। प्रेम की रूमानी राहों में; कुछ भी संभव कर सकती हो तुम; तुम बह सकती हो घटाओं में; उड़ सकती हो हवाओं में; बिखर सकती हो बन कर खुशबू फिज़ाओं में; पर हक़ीकत ज़मीं होती है। और ज़मीं पे चल कर; सूरज तक जाना ही; प्रेम की मंज़िल को पाना है। और बाकी सब; तुम्हारी रूमानी आँखों का स्वप्न; आसान है सपनों को आँखों में रखना; सपनों की मंज़िल कभी आसान नहीं होती। #रूमानियत@LOVEGRAPHY