वो रोटियों की पुपलियाँ, भी क्या लाजवाब थीं.. ये आज की मैगी, भले यमीं को क्या पता ? तुम ठीक हो , भरपूर हो, घबराया मत करो.. तुम जानते हो , तुम्हारे अंदर की इक कमीं को क्या पता ? तुम उसके आये फ़ोन को , महफिलों में बैठे काट देते हो.. तुम्हारे ज़ेहन में वो नहीं, बूढ़ी मां के गहरे यकीं को क्या पता ? कितने सवाले ग़ौर हैं, किस- किस को हल करूं.. महफ़िल में और लोग हैं, सब हमीं को क्या पता ? --///----///---//--शिवम "मुसाफ़िर" #सबहमींकोक्यापता #सवाल #मां #रोटियां #कमीं