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फ़ासले जितने उतना भीतर घुस जाता है आदमी वक़्त बीतते

फ़ासले जितने उतना भीतर घुस जाता है आदमी
वक़्त बीतते बीतते शहर उसको पूरा याद आता है
.
 शहर
फ़ासले जितने उतना भीतर घुस जाता है आदमी
वक़्त बीतते बीतते शहर उसको पूरा याद आता है
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 शहर

शहर