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बस लौट आना था वहीँ से मुसाफिर तू आगे मंजिल की उम्म

बस लौट आना था वहीँ से मुसाफिर तू आगे मंजिल की उम्मीद में जा रहा।

आस टूटगी हाथ कुछ नहीं आएगा तू खामखां ही अपने पावँ जला रहा।।

©Alok krishya #sunrisesunset
बस लौट आना था वहीँ से मुसाफिर तू आगे मंजिल की उम्मीद में जा रहा।

आस टूटगी हाथ कुछ नहीं आएगा तू खामखां ही अपने पावँ जला रहा।।

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Alok krishya

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