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***दोहे*** प्रेम प्रेम तो सब करे,अर्थ भयो ना कोइ।

***दोहे***

प्रेम प्रेम तो सब करे,अर्थ भयो ना कोइ।
जो भी जानत प्रेम को,वो मीरा सम होइ।।

मोल  मेरा  न  पूछिये ,पूछ  लीजिये हाल।
क्यो वक्त पर याद करे,मन मे उठे सवाल।।

सर पर  माँ का हाथ हो,व ममता की छाया।
दुख में मरहम बन जाए,ऐसा माँ का साया।।


सम्पूर्ण दोहा अनुशीर्षक में पढ़े🙏 दोहे
******


देख  पीड़ा संसार,  मन  अति  विचलित  होय।
लघु व अधिक की मार में,सादा मन फिर रोय।।
***दोहे***

प्रेम प्रेम तो सब करे,अर्थ भयो ना कोइ।
जो भी जानत प्रेम को,वो मीरा सम होइ।।

मोल  मेरा  न  पूछिये ,पूछ  लीजिये हाल।
क्यो वक्त पर याद करे,मन मे उठे सवाल।।

सर पर  माँ का हाथ हो,व ममता की छाया।
दुख में मरहम बन जाए,ऐसा माँ का साया।।


सम्पूर्ण दोहा अनुशीर्षक में पढ़े🙏 दोहे
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देख  पीड़ा संसार,  मन  अति  विचलित  होय।
लघु व अधिक की मार में,सादा मन फिर रोय।।