तुझपे निसार किया था ज़िस्म ओ जान कभी मैंने ! अब तेरी बर्बादियों की मैं खुद दुआ कैसे करूं ! कहते हैं सब अब तुझे भूलना ही मुनासिब होगा ! तू ही बता अपने ही सीने से दिल को जुदा कैसे करूं ! तुम जानते हो आदत नहीं रही अकेले चलने की मुझे ! तो तुम बिन सफ़ऱ जिंदगी का पूरा कैसे करूं ! इश्क़ में जुदाई का भी अपना मज़ा है। : कभी कभी इस तरह से बात करने का मौक़ा मिलता है कि वह बेजुबाँ सा हो रुआंसा हो रह जाता है ! : आपको हुआ हो ये अनुभव तो बताइए 💗👨💕💕🍧🍨 आमंत्रित है। #shweta mishra #komal sharma