अनजानी राहों पर आज अकेले हमें विचलित ना कर पाएंगे घनघोर अंधेरे। निर्बाध गति से निरंतर चलेगें तो इस पथ के समक्ष मिल जाएंगे नए सवेरे। सहभागिता सबके लिए खुली है ✍🏻 साहित्यिक सहायक शब्दों की मर्यादा का ध्यान अवश्य रखे ✍🏻 1. फॉन्ट छोटा रखें और बॉक्स में लिखें 2. इस वाक्य को अपने सुंदर शब्दों से पूरा करें