जी चाहता है कि हो एक रात ऐसी भी कभी, मैं खोयी रहूँ ख़ुद में और तुझे मेरा इंतिज़ार हो बेक़ाबू हो जाए मन तेरा जब मिले ना कोई ख़बर मेरी, जागे तेरी आँखें भी और सपनों को मेरा इंतिज़ार हो तड़प की पीड़ क्या होती है कभी तू भी तो सहना जानाँ, आँसू में बहे ख़याल कयी और मुस्कान को मेरा इंतिज़ार हो डरे तू भी मुझे खोने से कभी ऐसा भी एक मक़ाम आए, तेरी पुकार में हो नाम मेरा और लौटने का बस इंतिज़ार हो #इंतिज़ार #तड़पन #पीड़ #yqdidi #yqbaba #drgpoems Photo credits: skogshymn instagram handle