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सरहद में फर्ज निभाना है। वर्दी का कर्ज चुकाना है।

सरहद में फर्ज निभाना है।
वर्दी का कर्ज चुकाना है।

मा तेरी आवाज़  जो सुनते ।
आंसू रुक ना पाते है।

पापा कहते है मेरा शेर है तू।
ये सुन कर चुप हो जाते है।

कन्धे में टंगी बंदूक देख कर।
बचपन याद आ जाता है।

दिल करता है घर जा कर।
दादी को गले लगाने का।

बाबा की साइकिल में बैठ कर।
फिर से वहीं सुकून पाने का।

माना कि मै फौजी।
पर घर मुझे भी याद आता है।

पर आंखो की नमी छुपाना है।
मुझे वर्दी का फर्ज निभाना है.......

©Radha Chandel #वर्दी
सरहद में फर्ज निभाना है।
वर्दी का कर्ज चुकाना है।

मा तेरी आवाज़  जो सुनते ।
आंसू रुक ना पाते है।

पापा कहते है मेरा शेर है तू।
ये सुन कर चुप हो जाते है।

कन्धे में टंगी बंदूक देख कर।
बचपन याद आ जाता है।

दिल करता है घर जा कर।
दादी को गले लगाने का।

बाबा की साइकिल में बैठ कर।
फिर से वहीं सुकून पाने का।

माना कि मै फौजी।
पर घर मुझे भी याद आता है।

पर आंखो की नमी छुपाना है।
मुझे वर्दी का फर्ज निभाना है.......

©Radha Chandel #वर्दी
radhachandel4015

Radha Chandel

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